मेरा मन बड़ा शांत रहता है -------कोई उथल पुथल नहीं होती -----बस घर का काम और पति की प्रतीक्षा ----न ज्यादा सोचने का मन करता है न कोई बहुत अधिक इच्छा होती है -------------तुम्हे पता है क्यूँ , तुम्हे बेचैन देखती हूँ तो अपने पति पर बड़ा गर्व होता है -वह मेरी हर मुश्किल को आसान कर देता है -----और उसकी बलिष्ठ बाहे ऊंचा कद और ऊची सोच के साथ हर वक्त हसने हसाने का स्वाभाव सबके लिए अच्छा सोचने वाले ------------मुहे और क्या चाहिए था --इससे ज्यादा कुछ नहीं न मै राजनीति की बात जानती न किसी धर्म गुरु की जरुरत ---बस यही सुख बना रहे इसी लिए इतने व्रत उपवास करती रहती हूँ ---तुम ही बताओ आरती क्या ये मै गलत करती हूँ । अक्सर किटी पार्टी वाली महिलाये मुझे शामिल करना चाहती है पर मै मन कर देती हूँ क्यूंकि घर का ये सुख छोड़ कर मुझे किसी को जानने समझने की कोई इच्छा नहीं है ---------क्रमश :